बाढ़ आई ....
और सब कुछ
ख़त्म हो गया .....
ख़त्म हो गयी
आदमी के अन्दर की साम्प्रदायिकता ..
नहीं रहा कोई दलित अब ...
नहीं रही कोई स्त्री
जिसके साथ कोई बलात्कार कर सके .....
ख़त्म हो गयी
आदमी की राजनीति ......
बस कुछ शेष रह गया हैं
आदमी के अन्दर तो
एक प्यार
जो एक दीये की तरह टिमटिमा रहा हैं
लोगों की आँखों में
कभी लोगों की साँसों में ......
नीतीश मिश्र
और सब कुछ
ख़त्म हो गया .....
ख़त्म हो गयी
आदमी के अन्दर की साम्प्रदायिकता ..
नहीं रहा कोई दलित अब ...
नहीं रही कोई स्त्री
जिसके साथ कोई बलात्कार कर सके .....
ख़त्म हो गयी
आदमी की राजनीति ......
बस कुछ शेष रह गया हैं
आदमी के अन्दर तो
एक प्यार
जो एक दीये की तरह टिमटिमा रहा हैं
लोगों की आँखों में
कभी लोगों की साँसों में ......
नीतीश मिश्र
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